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श्री बालाजी मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिवस पर कथा व्यास इंद्रेश जी महाराज ने बताया कि हम अक्सर सोचते हैं कि किसी भी आयोजन या कार्य का पूरा भार हमारे ऊपर है, जबकि वास्तव में सब कुछ ठाकुर जी संभाल रहे होते हैं। लेकिन भगवान श्रेय लेने की इच्छा नहीं रखते। कथा व्यास पूज्य श्री इंद्रेश जी महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिवस पर कहा कि ठाकुर जी कभी-कभी परीक्षा भी लेते हैं, इसलिए हमें ‘मैं’ का अहंकार नहीं रखना चाहिए।

उन्होंने गोवर्धन लीला का उदाहरण देते हुए बताया कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गिरिराज पर्वत उठाया, तो ग्वाल-बालों ने अपनी लाठियां लगा दीं और सोचने लगे कि पर्वत उनके प्रयासों से टिका हुआ है। उन्होंने श्रीकृष्ण से कहा कि वे अपनी उंगली हटा लें, लेकिन जैसे ही भगवान ने उंगली ज़रा सी हटाई, सारी लाठियां टूट गईं और सभी ने समझ लिया कि वास्तव में गोवर्धन ठाकुर जी की शक्ति से ही उठा हुआ था।

जब ग्वालों ने पूछा कि वह कौन हैं, तो श्रीकृष्ण ने कहा कि उन्होंने कई राक्षसों का वध किया और गोवर्धन उठाया, फिर भी ब्रजवासियों ने कहा कि यह ब्रजभूमि का प्रभाव है, वे भगवान नहीं, बल्कि उनके प्यारे कन्हैया हैं। उनके प्रेम और भक्ति को देखकर भगवान के नेत्रों से आंसू छलक पड़े।

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