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बुंदेलखंड वैसे तो पिछले कई दशकों से भाजपा का गढ़ माना जाता रह है। समय-समय पर चुनावों के नतीजे भी इसी बात के तस्दीक करते नजर आये हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से, ऊपरी तौर पर न सही परन्तु अंदर से ही भाजपा के नेतृत्व में कुछ खींचतान महसूस की जा रही है।
बताया जा रहा है कुछ समय पहले तक पार्टी के जो दिग्गज माने जाने वाले नेता गलबहियां करते नहीं थकते थे अब एक दूसरे को फूटी आँखों भी देखने से बच रहे हैं। हाल ही में हुईं कुछ घटनाओं से यह बात कुछ ज्यादा ही उजागर होती जा रही है।
अब भाजपा के अंदर तनातनी अलग-अलग जातियों से ज्यादा एक ही जाति के कद्दावर नेताओं के बीच दिखने लगी है। क्षत्रियों का खून उबाल लेने लगा है। बीते दिनों एक नेता जी की होटल में समाज की बैठक हुई। बैठक होना कोई बड़ी बात नहीं थी बड़ी बात उस बैठक में नेताजी के रिश्तेदार को समाज का नेता घोषित किया जाना थी। इससे समाज के उन दिग्गजों के सीने में आग लग गयी जिन्हे इस बैठक में न्यौता नहीं दिया गया था।
यह खुन्नस समाज के नेताओं में ज्यादा दिनों तक दबी नहीं रही। एक पखवाड़े के अंदर ही उन नाखुश नेताओं ने भी समाज की एक बैठक कर उन कथित एकतरफा सर्वेसर्वा बनाये गए नेता जी की नियुक्ति को शून्य घोषित कर दिया। अब देखना यह है की आने वाले समय में समाज की यह अंदरूनी खींचतान क्या गुल खिलाती है।?
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