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जिले में ऐसे मामले विरले ही होंगे जिसमें शिक्षण कार्य में लापरवाही, कामचोरी और चालबाजी जैसे लगने वाले कामों के लिए मास्साबों को दण्डित किया गया। उन्हें न केवल विभागीय स्तर पर निलंबन की सजा मिली बल्कि उनके खिलाफ थानों में मामले भी दर्ज कराये गए। मास्साबों की कथित कारगुजारियों भी क्षम्य नजर नहीं आतीं हैं। जो मास्साब खुद छल-फरेब करते नजर आते हों वो भला किस मुंह से बच्चों को नैतिकता की क्या सीख देते होंगे ।
एक ज़माने में शिक्षक बनना लोगों का जूनून होता था। वे तमाम कठिनाइयों को झेलते हुए भी बच्चों को अच्छी शिक्षा देते थे और खुद भी नैतिक जीवन जीकर मिसाल पेश करते थे। लेकिंन अब शिक्षक बनना घर परिवार चलने का महज एक जरिया और नौकरी बन कर रह गयी है। ये तो एक ही मामला हैं ढूँढने पर ऐसे कई महानुभाव अभी भी शिक्षकों की बिरादरी को लज्जित करने में लगे होंगे । देखते हैं उनका नंबर कब आता है।
Sagar Watch News/ दैनिक स्थानीय समाचार पत्र में प्रकशित खबर के आधार पर मालथौन विकासखंड शिक्षा अधिकारी जी पी अहिरवार एवं विकासखंड स्त्रोत समन्वयक विजय सींग ठाकुर ने शासकीय प्रा.शाला मझेरा का निरीक्षण किया जिसमें विद्यालय के छात्रों एवं ग्राम वासियों ने बताया कि इन्द्रविक्रम सींग परमार स्कूल बहुत कम आते है उनके स्थान पर ममता अहिरवार पढाने आती है।
इसी प्रकार शासकीय एकीकृति माध्यामिक शाला भैलैया में पदस्थ रूप सिंह चढार प्राथमिक शिक्षक के स्थान पर विक्रम सिंह लोधी के पढ़ाने आते है। इसी प्रकार जैसी नगर के शासकीय प्राथमिक शाला रहली के शिक्षक अनिल मिश्रा, शासकीय एकीकृत माध्यमिक शाला बंजरिया की शिक्षिका जानकी तिवारी एवं भगवानदास सकबार, गोकुल प्रजापति है।
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