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डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान और लोकप्रशासन विभाग में 'पंच प्रण' विषय पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत ने कहा कि ‘पंच प्रण’ के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए युवाओं को सक्रिय भूमिका निभानी होगी। 

युवाओं में जोश और ऊर्जा होती है, वे न केवल सपने देखते हैं, बल्कि उन्हें साकार भी करते हैं। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ भारत की दिशा में काम करने के लिए हमें आभासी दुनिया से हटकर वास्तविक दुनिया में कार्य करना होगा।

प्रो. राजपूत ने भारत की ज्ञान परंपरा और गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लेने पर जोर दिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. नागेश दुबे ने कहा कि ‘पंच प्रण’ को पूरा करने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा और आपसी सहयोग से ही यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री के नेतृत्व में 'पंच प्रण' के जरिए भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा गया है। युवा पीढ़ी को यह याद दिलाना जरूरी है कि वे इन संकल्पों को पूरा कर देश को विश्व के मानचित्र पर एक प्रमुख विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित कर सकते हैं। 

प्राचीन भारत हर क्षेत्र में उन्नत था, इसलिए इसे 'सोने की चिड़िया' कहा जाता था। हमें अपनी सहिष्णुता, भारतीय संस्कृति, धर्म और ज्ञान को संजोकर फिर से भारत को उसी ऊँचाई पर पहुंचाना है।

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इस अवसर पर इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. बी.के. श्रीवास्तव ने कहा कि युवाओं को भटकने से बचाने और उन्हें सही दिशा में प्रेरित करने के लिए 'पंच प्रण' की प्रतिबद्धता आवश्यक है। हमें अपने भीतर अच्छे संस्कार विकसित करने और नकारात्मक भावनाओं को दूर करने की जरूरत है, जिससे हम एक बेहतर समाज और राष्ट्र का निर्माण कर सकें।

राजनीति विज्ञान एवं लोकप्रशासन विभाग की प्रमुख, प्रो. अनुपम शर्मा ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कहा कि ‘पंच प्रण’ देश को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में मार्ग दिखाता है। इसके लिए हमें गुलामी की मानसिकता से मुक्त होकर अपनी विरासत पर गर्व करना होगा और अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा। 

कार्यक्रम का समापन करते हुए प्रो. अनुपमा कौशिक ने कहा कि हमें सकारात्मक विचारों को अपनाकर पंच प्रण संकल्पों को पूरा करना है। सभी प्रतिभागियों ने पंच प्रण की शपथ ली।

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