Hindi Diwas
- हिन्दी भाषा सार्वदेशिक और सार्वकालिक - प्रो.सुरेश आचार्य
- हिंदी दिवस के दशम् वार्षिक आयोजन में श्यामलम् द्वारा किया गया मराठी भाषी लेखक का सम्मान
SAGAR WATCH/ हिंदी दिवस पर 14 सितंबर को श्यामलम् द्वारा दशम् वार्षिक आयोजन पर व्याख्यान माला और सम्मान समारोह का गरिमामय कार्यक्रम पं.दीनदयाल उपाध्याय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय सागर की सहभागिता में आयोजित किया गया।
इस अवसर पर गैर हिन्दी भाषी लेखकों को दिए जाने वाले वार्षिक श्यामलम् हिन्दी सेवी सम्मान से रायपुर छत्तीसगढ़ से पधारे मराठी भाषी लेखक डॉ. चंद्रकांत वाघ को अलंकृत किया गया।
कार्यक्रम में इसके अलावा पं.श्याम मनोहर गोस्वामी स्मृति मानस मर्मज्ञ सम्मान से वरिष्ठ चिकित्सक मानस प्रेमी डॉ.बी.के.मिश्रा को तथा कवयित्री डॉ.वर्षा सिंह स्मृति हिन्दी रचनाकार सम्मान से इंक मीडिया पत्रकारिता इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ.आशीष द्विवेदी को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. वाघ ने कहा कि देश में 22 भाषाएं और 26 उप भाषाएं तथा अनगिनत क्षेत्रीय भाषाएं बोली जाती हैं लेकिन हिन्दी सभी भाषाओं की मां के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
उन्होंने सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. हरिसिंह गौर, महाकवि पद्माकर, विट्ठलभाई पटेल, अखलाक सागरी सहित अन्य कवियों और साहित्यकारों और इतिहास का उल्लेख करते हुए सागर को "साहित्य - सागर" कहा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सागर विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार प्रो.सुरेश आचार्य ने हिंदी भाषा और बोली का विश्लेषण करते हुए कहा कि बोलियां तो स्थान -काल में बदलती रहती हैं लेकिन भाषा नहीं,वह तो स्थायी होती है।
उन्होंने हिन्दी भाषा को सार्वदेशिक और सार्वकालिक बताते हुए देश के जन-जन की ,हर हृदय की धड़कन बताया और कहा कि हिन्दी भावात्मक और राष्ट्रीय चेतना जागृत करने में सर्वथा सक्षम है।
श्री आचार्य ने कवियों , साहित्यकारों के अनेक दृष्टांतों का विवेचन करते हुए महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के भाषा प्रेम एवं श्रीमती मनोहरा देवी के साथ हुए निराला जी के साथ संवाद का रोचक वर्णन किया।
सारस्वत अतिथि डॉ. बी के मिश्रा ने जटायु वध का मार्मिक विश्लेषण और महत्व,सार्थकता बताई । उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस में जीवन प्रबन्धन के अनेक सूत्र विद्यमान हैं।
महाभारत के सर्व सुविधा सम्पन्न, सर्वाधिकार प्राप्त पात्र भीष्म पितामह को अन्त समय में वाणों की शैय्या प्राप्त हुई। वहीं मानस के सामान्य एवं सर्वसाधारण जटायु को अन्तसमय में श्रीराम की गोद मिली। जटायु एक अबला नारी सीता की सुरक्षा के लिए अपने प्राण गंवा देता है वहीं भीष्म पितामह दुर्योधन व दुशासन द्वारा द्रोपदी को लज्जित करने पर मौन धारण कर लेते हैं।
जटायु और भीष्म पितामह के उद्धरण द्वारा रामचरितमानस में वर्णित चरित्र निर्माण करने वाले भावों की समृद्धता का विशद विवेचन डॉ मिश्रा द्वारा किया गया। दोनों के अन्त समय की परिणति का दृष्टांत सुनकर सभागार भावविभोर हो उठा।
विशेष आमंत्रित अतिथि डॉ.आशीष द्विवेदी ने कहा यदि हम दूसरों की भाषा का सम्मान करेंगे, तो हमारा और हमारी भाषा का सम्मान भी अपने आप होगा। उन्होंने कार्यक्रम आयोजक संस्था श्यामलम् को बुंदेलखंड की सर्वाधिक सक्रिय और प्रतिष्ठित संस्था के रूप में अभिव्यक्त किया।
कार्यक्रम में अपनी स्नेहिल उपस्थिति दर्ज कराते हुए संयुक्त संचालक शिक्षा मनीष वर्मा ने भी अपने विचार रखे।
आभार व्यक्त करते हुए डॉ.सरोज गुप्ता ने अथर्वदेवी सूक्त में वर्णित भाषा महिमा -"अहं राष्ट्री संगमनी वसूनाम" राष्ट्र की भाषा समस्त ऐश्वर्यों को प्रदान करती है के साथ वर्णमाला की उत्पत्ति के दृष्टांत नारद के मानस पुत्रों की तपस्या से प्रसन्न शिव के नृत्य नटराज द्वारा चौदह बार डमरू बजाने से महेश्वर सूत्रों के रुप में पाणिनीय शब्दानुशासन में वर्णित अक्षरों की भारतीय दार्शनिक परम्परा का विवेचन किया।
अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और अ.भा.महिला काव्य मंच की प्रदेशाध्यक्ष सुनीला सराफ द्वारा सरस्वती वंदना के मधुर गायन के पश्चात् इस भव्य व स्मरणीय कार्यक्रम की शुरुआत मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा हिन्दी दिवस पर कार्यक्रम आयोजित करने पर श्यामलम् को दिए गए शुभकामना संदेश के हरीसिंह ठाकुर द्वारा किए गए वाचन से हुई।
डॉ.नलिन जैन ने कवि स्व.निर्मल चंद निर्मल जी की कविता "हिंदी हिंदुस्तान की" का वाचन किया। अभिनंदन पत्रों का वाचन डॉ.सुश्री शरद सिंह,आनंद मंगल बोहरे, डॉ विनोद तिवारी, रमाकांत शास्त्री व संतोष पाठक ने किया।
पाठक मंच संयोजक आर के तिवारी, डॉ चंचला दवे, कपिल बैसाखिया, हरी शुक्ला, कुंदन पाराशर ने अतिथि स्वागत किया।श्यामलम् अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र ने कार्यक्रम परिचय व स्वागत उद्बोधन दिया।
कार्यक्रम का व्यवस्थित और सुचारू संचालन डॉ. अमर कुमार जैन, प्राध्यापक, पं.दीनदयाल उपाध्याय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय सागर ने किया।
इस अवसर पर गैर हिन्दी भाषी लेखकों को दिए जाने वाले वार्षिक श्यामलम् हिन्दी सेवी सम्मान से रायपुर छत्तीसगढ़ से पधारे मराठी भाषी लेखक डॉ. चंद्रकांत वाघ को अलंकृत किया गया।
कार्यक्रम में इसके अलावा पं.श्याम मनोहर गोस्वामी स्मृति मानस मर्मज्ञ सम्मान से वरिष्ठ चिकित्सक मानस प्रेमी डॉ.बी.के.मिश्रा को तथा कवयित्री डॉ.वर्षा सिंह स्मृति हिन्दी रचनाकार सम्मान से इंक मीडिया पत्रकारिता इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ.आशीष द्विवेदी को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. वाघ ने कहा कि देश में 22 भाषाएं और 26 उप भाषाएं तथा अनगिनत क्षेत्रीय भाषाएं बोली जाती हैं लेकिन हिन्दी सभी भाषाओं की मां के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
उन्होंने सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. हरिसिंह गौर, महाकवि पद्माकर, विट्ठलभाई पटेल, अखलाक सागरी सहित अन्य कवियों और साहित्यकारों और इतिहास का उल्लेख करते हुए सागर को "साहित्य - सागर" कहा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सागर विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार प्रो.सुरेश आचार्य ने हिंदी भाषा और बोली का विश्लेषण करते हुए कहा कि बोलियां तो स्थान -काल में बदलती रहती हैं लेकिन भाषा नहीं,वह तो स्थायी होती है।
उन्होंने हिन्दी भाषा को सार्वदेशिक और सार्वकालिक बताते हुए देश के जन-जन की ,हर हृदय की धड़कन बताया और कहा कि हिन्दी भावात्मक और राष्ट्रीय चेतना जागृत करने में सर्वथा सक्षम है।
कवियों , साहित्यकारों के अनेक दृष्टांतों का विवेचन करते हुए महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के भाषा प्रेम एवं श्रीमती मनोहरा देवी के साथ हुए निराला जी के साथ संवाद का रोचक वर्णन किया।
सारस्वत अतिथि डॉ. बी के मिश्रा ने जटायु वध का मार्मिक विश्लेषण और महत्व,सार्थकता बताई ।
उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस में जीवन प्रबन्धन के अनेक सूत्र विद्यमान हैं। महाभारत के सर्व सुविधा सम्पन्न, सर्वाधिकार प्राप्त पात्र भीष्म पितामह को अन्त समय में वाणों की शैय्या प्राप्त हुई।
वहीं मानस के सामान्य एवं सर्वसाधारण जटायु को अन्तसमय में श्रीराम की गोद मिली। इसका कारण है रामचरित मानस में वर्णित कर्तव्यपरायणता के श्रेयस्कर भाव, जिसे पढ़कर हर व्यक्ति अपना जीवन सार्थक कर सकता है।
जटायु एक अबला नारी सीता की सुरक्षा के लिए अपने प्राण गंवा देता है वहीं भीष्म पितामह दुर्योधन व दुशासन द्वारा द्रोपदी को लज्जित करने पर मौन धारण कर लेते हैं।
जटायु और भीष्म पितामह के उद्धरण द्वारा रामचरितमानस में वर्णित चरित्र निर्माण करने वाले भावों की समृद्धता का विशद विवेचन डॉ मिश्रा द्वारा किया गया। दोनों के अन्त समय की परिणति का दृष्टांत सुनकर सभागार भावविभोर हो उठा।
विशेष आमंत्रित अतिथि डॉ.आशीष द्विवेदी ने कहा यदि हम दूसरों की भाषा का सम्मान करेंगे, तो हमारा और हमारी भाषा का सम्मान भी अपने आप होगा।
उन्होंने कार्यक्रम आयोजक संस्था श्यामलम् को बुंदेलखंड की
सर्वाधिक सक्रिय और प्रतिष्ठित संस्था के रूप में अभिव्यक्त किया।
कार्यक्रम में अपनी स्नेहिल उपस्थिति दर्ज कराते हुए संयुक्त संचालक शिक्षा मनीष वर्मा ने भी अपने विचार रखे।
आभार व्यक्त करते हुए डॉ.सरोज गुप्ता ने अथर्वदेवी सूक्त में वर्णित भाषा महिमा -"अहं राष्ट्री संगमनी वसूनाम" राष्ट्र की भाषा समस्त ऐश्वर्यों को प्रदान करती है के साथ वर्णमाला की उत्पत्ति के दृष्टांत नारद के मानस पुत्रों की तपस्या से प्रसन्न शिव के नृत्य नटराज द्वारा चौदह बार डमरू बजाने से महेश्वर सूत्रों के रुप में पाणिनीय शब्दानुशासन में वर्णित अक्षरों की भारतीय दार्शनिक परम्परा का विवेचन किया।
अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और अ.भा.महिला काव्य मंच की
प्रदेशाध्यक्ष सुनीला सराफ द्वारा सरस्वती वंदना के मधुर गायन के पश्चात् इस भव्य व स्मरणीय कार्यक्रम की शुरुआत मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा हिन्दी दिवस पर कार्यक्रम आयोजित करने पर श्यामलम् को दिए गए शुभकामना संदेश के हरीसिंह ठाकुर द्वारा किए गए वाचन से हुई।
इस अवसर पर पर हिन्दी प्रेमी श्रोताओं और नगर के प्रबुद्धजनों की बड़ी संख्या में उपस्थिति महत्वपूर्ण रही जिनमें पं. शुकदेव प्रसाद तिवारी, पं.मदनमोहन द्विवेदी,प्रो.जय कुमार जैन, मुन्ना शुक्ला,अशोक मिज़ाज,टी आर त्रिपाठी, आशुतोष गोस्वामी,शिवरतन यादव, अंबिका यादव, नवनीत धगट, प्रदीप पांडेय.डॉ छाया चौकसे, डॉ अंजना पाठक, ममता भूरिया, डॉ विजय लक्ष्मी दुबे, महेंद्र प्रताप तिवारी,पैट्रिस फुस्केले, मुकेश तिवारी, अयाज़ सागरी ,नील रतन पात्रा, डॉ. अनिल जैन,उदय खेर, डॉ अतुल श्रीवास्तव, वीरेन्द्र प्रधान,राजेंद्र दुबे कलाकार, प्रभात कटारे, आनंद मिश्रा अकेला, दामोदर अग्निहोत्री, गणेश सैनी, प्रभात कटारे, पत्रकार काशीराम रायकवार,बी डी पाठक,ज ला प्रभाकर, व्ही पी मिश्रा, अंबर चतुर्वेदी,के एल तिवारी, गौरव राजपूत,अरुण मिश्रा छतरपुर सहित गोस्वामी एवं मिश्रा परिवार के परिजन शामिल हैं। वाणिज्य महाविद्यालय सागर की सहभागिता में आयोजित किया गया।
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