Foundation Day- पुस्तकालय का ज्ञान प्रमाणिक है मोबाइल पर आधारित ज्ञान नहीं

Foundation Day- पुस्तकालय का ज्ञान प्रमाणिक है मोबाइल पर आधारित ज्ञान नहीं

 


सागर वॉच/15 फरवरी/ समाजवादी चिन्तक रघु ठाकुर मानना है कि समाज में पुस्तकालयों का महत्व बढ़ाया जाना चाहिए पुस्तकालय का ज्ञान प्रमाणिक है जो इतिहास की मजबूती पर आधारित है। वर्तममान दौर में मोबाइल पर आधारित ज्ञान प्रमाणिक नहीं है। उन्होंने ये विचार मंगलवार को शहर के सरस्वती पुस्तकालय एवं वाचनालय ट्रस्ट के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन के दौरान व्यक्त किये    

सरस्वती पुस्तकालय एवं वाचनालय न्यास ने इस कार्यक्रम में साहित्यकार डॉ. लक्ष्मी पाण्डेय को साहित्य सरस्वती सम्मान से विभूषित किया गया। सम्मान में एक लाख रूपये, शाल श्रीफल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। 

समारोह के मुख्य अतिथि सागर के विधायक शैलेन्द्र जैन और विशिष्ठ अतिथि पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर ने की। समारोह की शुरूआत में अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया इसके बाद सरस्वती वंदना की गयी। संस्था के सचिव शुकदेव प्रसाद तिवारी ने वाचनालय के इतिहास के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। 

उन्होंने कहा कि 70 के दशक में सागर में हुई एक बड़ी बैठक में महाकवि पदमाकर के बारे में तीन फैसले हुए थे जिसके तहत पदमाकर की मूर्ति स्थापित करना, उनकेे जीवन पर आधारित पुस्तक का प्रकाशन करने और उनके नाम पर सागर में एक बड़े भवन का निर्माण कराना प्रस्तावित किया गया था। मूर्ति स्थापना और पुस्तक प्रकाशन की मांग पहले ही पूरी हो चुकी थी। पदमाकर के नाम पर बड़े सभागार का निर्माण विधायक शैलेन्द्र जैन के प्रयासों से अब हुआ है। इसके लिए साहित्य जगत की ओर से हम उनके आभारी हैं। 

संस्था के अध्यक्ष के.के. सिलाकारी ने प्रशस्ति पत्र का वाचन किया। साहित्कार शरद सिंह ने डॉ.लक्ष्मी पाण्डेय के जीवन परिचय पर विस्तार पूर्वक जानकारी दी। मुख्य अतिथि शैलेन्द्र जैन ने अपने संबोधन में सरस्वती वाचनालय ट्रस्ट के सदस्यों को बधाई दी जिन्होंने साहित्य के क्षेत्र में एक बड़े सम्मान समारोह की शुरूआत की उन्होंने उपस्थित जन समूह से आह्वान किया की वे सागर में साहित्य जगत की गतिविधियों का बढ़ावा देने के लिए हर संभव सहयोग करें। 

पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव ने अपने संबोधन में कहा कि मैं लम्बे समय से इस वाचनालय में समाचार पत्रों के एक पाठक के रूप में जुड़ा रहा हूं इस संस्था ने ईमानदारी पूर्वक कार्य करते हुए शहर के लोगों को अपना ज्ञान बढ़ाने में सहयोग किया है उन्होंने स्वर्गीय राधेलाल माहेश्वरी का स्मरण करते हुए कहां कि उन्होंने इस संस्था को मजबूती से खड़ा करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समाजवादी चिन्तक रघु ठाकुर ने कहा कि समाज में पुस्तकालयों का महत्व बढ़ाया जाना चाहिए पुस्तकालय का ज्ञान प्रमाणिक है जो इतिहास की मजबूती पर आधारित है। वर्तममान दौर में मोबाइल पर आधारित ज्ञान प्रमाणिक नहीं है। 

देश को मजबूत बनाने के लिए भारतीय संस्कृति को मजबूत बनाना जरूरी है। वर्तमान शिक्षण व्यवस्था में समानता नहीं है। व्यवस्था में बदलाव कर शिक्षा में समता लायी जाए तो सरस्वती, लक्ष्मी, दुर्गा भी मजबूत होगी।

रघु ठाकुर ने कहा कि वाचनालय देश की आजादी केे दौर से पहले और वर्तमान में नई आजादी के दौर में अपने आयोजनों के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यहां होने वाले आयोजनों से आंदोलनों की भूमिका बनी। केन्द्रीय विश्व विद्यालय का आयोजन हो, रेल सुविधायें बढ़ाने की बात हो या तालाब पर बनने वाले फ्लाई ओव्हर निर्माण की बात हो इन आंदोलनों की भूमिका इसी भवन हुई बैठकों में तैयार हुई।

साहित्य सरस्वती सम्मान से सम्मानित डॉ. लक्ष्मी पाण्डेय ने समाज में स्त्रियों को समानता का दर्जा दिलाने पर जोर दिया उन्होंने कहां कि महिलाओं को अभी भी पुरूषों की तुलना में कमजोर समझा जाता है। वाचनालय ट्रस्ट द्वारा सम्मानित किये जाने पर उन्होंने ट्रस्ट का आभार व्यक्त किया, उन्होंने कहां कि ३० वर्ष पहले मै सागर आयी थी किन्तु यहां के लोगों ने मुझे इतना स्नेह दिया कि में स्वयं को कभी अकेला महसूस नहीं कर पायी। ३० वर्षो में ३९ पुस्तकों की रचना मैंने की जिससे मुझे राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। उन्होंने कहा कि जब राजनीति साहित्य की सराहना करने लगे तब सरस्वती का मिलना तय है। 

सरपंच, विधायक, सांसद जनप्रतिनिधि के रूप में जनता के पालक होते हैं। उनका साहित्य को सहयोग व संरक्षण मिले तो साहित्य की तरक्की तय है। शुरूआत में मंचासीन अतिथियों का वाचनालय ट्रस्ट की ओर से पुष्पमालाओं से स्वागत किया गया। रघु ठाकुर का साल श्रीफल से संस्था के सचिव शुकदेव प्रसाद तिवारी ने स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन संस्था के सचिव शुकदेव प्रसाद तिवारी ने किया और आभार प्रदर्शन संस्था के अध्यक्ष के.के. सिलाकारी ने माना। 

समारोह में प्रमुख रूप से डॉ. सुरेश आचार्य, शरद सिंह, चंचला दवे,  जेपी पाण्डे, निरंजना जैन, अनिल जैन, कविता शुक्ला, उमाकांत मिश्रा, गजाघर सागर, अशोक तिवारी, कपिल वैशाखिया, विनोद तिवारी, डीएन चौबे, ऋषभ समैया, आर.के. तिवारी सहित ब$डी संख्या में लोग मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि साहित्य सरस्वती पत्रिका के प्रकाशन के लगातार आठ वर्ष पूर्ण हो चुके है इस दौरान ३२ अंक निकाले गये। इस पत्रिका के प्रकाशन की निरंतरता बनी हुई है। कोरोना काल में भी पत्रिका का कोई भी अंक अप्रकाशित नहीं रहा।

डॉ. लक्ष्मी पाण्डे: एक परिचय

डॉ. लक्ष्मी पाण्डे, अल्प संख्यक कार्य मंत्रालय भारत सरकार की हिन्दी सलाहकार समिति की सदस्य रहीं। भारतीय काव्य शास्त्र के अधुनातन आचार्य प्रो. राममूर्ति त्रिपाठी और आचार्य भगीरथ मिश्र के काव्य शास्त्रीय अवदान पर उन्हें डीलिट की उपाधि प्राप्त हुई। 

गठरी में लागे चोर, पॉजीशन सालिड है, पूछ हिलाने की संस्कृति इधर भी है, उधर भी है। सुरेश आचार्य शनिचरी का पंडित कांतिकुमार जैन संस्मरण को जिसने वरा है। ताई भी आई भी- मीना पिम्पलापुर आदि प्रमुख पुस्तकों का डॉ. लक्ष्मी पाण्डेय ने संपादन किया।

 वर्ष 2011 में उन्हें मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन सागर द्वारा साहित्याचार्य डॉ. पन्ना लाल जैन सम्मान से विभूषित किया गया। 2016 में उन्हेें श्यामलम संस्था ने आचार्य शंकरदत्त चतुर्वेदी साहित्य सम्मान से अलंकृत किया। वे साहित्य सरस्वती त्रैमासिक पत्रिका की संपादक हैं। अंतराष्टï्रीय पत्रिका शोधायन की उपसंपादक का दायित्व  वे निभा रहीं हैं। 

थाईलैंड, बैंकॉक में आयोजित 18वीं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठि में उन्होंने अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराई। जामिया मिलिया दिल्ली, सावित्री बाई फुले विवि पुणे, रोहतक विवि हरियाणा, देवीलाल चौधरी विवि हरियाणा, दिल्ली विवि और सागर विवि के पाठ्यक्रमों में दूरस्थ शिक्षक और नियमित पाठ्यक्रमों में उनकी पुस्तकें पढ़ाई जाती हैं

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