Aajadi ka Amrit Mahotsav-ब्रिटिश उपनिवेशवाद से मुक्ति का सबसे बड़ा साधन था जन-चेतना
लिए सियाजीराव गायकवाड, सावित्रीबाई फुले, ज्योतिबा फुले, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, डॉ. अम्बेडकर आदि के समृद्ध योगदान को महत्वपूर्ण बताया।
प्रो. अनिल सदगोपाल ने ये विचार आज़ादी के अमृत महोत्सव व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत भारतीय दार्शनिक अनुसन्धान परिषद्, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में आज़ादी की लड़ाई एवं शिक्षा का विमर्श विषय पर डॉ हरी सिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित व्याख्यान माला में अपने उद्बोधन के दौरान व्यक्त किये ।
सावित्रीबाई फुले लोकतांत्रिक समाज की निर्माता
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने क्रान्ति ज्योति सावित्रीबाई फुले के जीवन संघर्ष और समाज सुधार के प्रति उनकी निष्ठा को आज़ादी के बाद निर्मित लोकतांत्रिक समाज के लिए अनिवार्य शर्त बताया।
प्रो. गुप्ता ने टीएलसी के द्वारा किये गये कार्यों के प्रशंसा करते हुए केंद्र के द्वारा संचालित पुस्तकालय, प्रशिक्षण कार्यों एवं सेल्फ सस्टेन मॉडल के रूप में स्थापित होने की सराहना की। उन्होंने बताया कि टीएलसी देश का एक मात्र केंद्र है जो समाजविज्ञान विषय पर काम कर रहा है।
यह विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है. देश में समाजविज्ञान के क्षेत्र में गुणात्मक विकास हो सके इसके लिए केंद्र नवाचारी तरीकों से लगातार कार्यशील है. उन्होंने केंद्र का निरीक्षण कर गतिविधियों के बारे में जानकारी ली और नई गतिविधयों की शुरुआत करने के लिए दिशा-निर्देश भी दिए।
आज़ादी की लड़ाई मूल्यों की लड़ाई थी
विषय प्रवर्तन करते हुए प्रो. अम्बिकादत्त शर्मा ने कहा कि आज़ादी की लड़ाई मूल्यों की लड़ाई थी, इसी कारण आज भी हम उसी लड़ाई से जागृत होते है. शिक्षा के माध्यम से ही इन मूल्यों को आत्मसात किया जा सकता है।
केंद्र का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए केंद्र समन्वयक डॉ. संजय शर्मा ने बताया कि सागर का टीएलसी शीघ्र ही भारत सरकार की विभिन्न शिक्षायी परियोजना के संदर्भ में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगा. कोरोना महामारी के समय इस केंद्र ने कई कार्यक्रम एवं कार्यशालाएं आयोजित की। जिससे इस केंद्र को राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान भी मिली।
कार्यक्रम की शुरुआत में हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के समाज विज्ञान शिक्षण अधिगम केंद्र के तत्त्वावधान में सावित्रीबाई फुले की 191वीं जयंती के अवसर पर सावित्रीबाई फुले भवन में उनकी प्रतिमा पर कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता के द्वारा माल्यार्पण करके की गई।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. आफरीन खान एवं आभार विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री संतोष सोहगौरा ने माना. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शिक्षक, छात्र एवं देश भर के शिक्षा विमर्श के जानकार एवं शोधार्थी ऑनलाइन माध्यम से जुड़े हुए थे।
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