यह भी पढ़ें : कामकाज में कसावट लाने कोरोना नियंत्रण केंद्र पहुंचे कलेक्टर
ऐसा ही नजारा सोमवार दोपहर पुराने कलेक्टर कार्यालय में नजर आया। जहां बिना किसी से कुछ कहे यह किशोर कचरा चुन -चुन कर कचरे के डब्बे में में डाल रहा था । आसपास खड़े लोगों ने जब उसे बुलाकर कुछ रुपए देने चाहे तो उसने मदद लेने से इनकार कर दिया और सभी को साफ-सफाई रखने और गंदगी न फैलाने की अपील की। गंदे से कपड़े पहने, कचरा बीन रहे युवक की बात सुन सभी स्तब्ध रह गए और उसके काम की सराहना की।
- अफसर बनने की है चाह ..
आफताब का कहना था कि वह पढ़ाई कर एक अफसर बनना चाहता है। उसने बताया कि उसके मरहूम पिता की दिली तमन्ना थी कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर अफसर बने । आफताब ने बताया कि यही कारण है कि वह और उसके भाई मेहनत-मजदूरी करने के बाद भी मन लगाकर पढ़ाई में जुट जाते हैं। आफ़ताब की इसी मेहनत का परिणाम है कि उसने दसवीं की परीक्षा 77 प्रतिशत अंको के साथ उत्तीर्ण की थी, अब 12वीं में उससे भी ज्यादा अंक लाकर अव्वल आना चाहता है।
यह भी पढ़ें : गंभीर-बीमारियों-के-रोगियों-को-लग-सकता-है-लंबा-समय-कोरोना-से-ठीक-होने-में
- प्रशासन दे ध्यान
आफताब ने बताया कि पिता की मौत के बाद वह और उसके भाई मेहनत-मजदूरी कर परिवार चलाते हैं। परिवार का राशन कार्ड भी नहीं और उसे बनवाने के लिए वह महीनों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है। सोमवार को भी वह अपना राशन कार्ड बनवाने के लिए एसडीएम कार्यालय आया था और वहां आसपास कचरा देख उसे साफ करने में जुट गया।