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 Traditional-Immunity-Booster-Drink- तेली-में-होते-है-प्रतिरोधकत-क्षमता-बढाने-के-जबर्दस्त-गुण


Guest Column :
By Kamlesh Tiwari (Senior Journalist)

सागर वॉच । तुरंत प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली होती है गाय की तेली। जिसे चिकित्सकीय भाषा में बोवाईन-कोलोस्ट्रम कहते हैं। तेली में, गाय के दूध मे सामान्य दिनों में मौजूद एंटीबाडीज की संख्या के मुकाबले सौ गुना ज्यादा एंटीबाडीज मौजूद रहते हैं जो किसी भी बैक्टीरिया-वायरस से लड़ने में सक्षम होते है। एंटीबाॅडीज से लबरेज तेली के सामने कोरोना भी बौना साबित हो सकता है। 

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गाय जब बछड़े को जन्म देती है तो नवजात की रोग प्रतिरोधक क्षमता लगभग शून्य होती है लेकिन जन्म के बाद पहले घंटे में गाय का गाढ़ा पीला दूध मिलते  ही  बछड़े का संक्रमण से बचाव होने लगता है।

 शुरुआत के 7 दिन तक मिलने वाले इस पीले रंग के दूध से बछड़ा ताउम्र संक्रमण और कुपोषण से बचा रहता है। मां के दूध से मिला यह प्राकृतिक टानिक या प्राकृतिक वैक्सीन उसके लिए हमेशा सुरक्षा कवच की भांति कार्य करता है । 

यदि मानव यही पीला दूध तेली बनाकर आहार के रूप में लेते हैं तो यह चार गुना ताकतवर हो जाता है। यानी तेली का सेवन उसे किसी भी खतरनाक बैक्टीरिया या वायरस से मुकाबला करने में सक्षम बना सकता  है।

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 पशु चिकित्सकों  के अनुसार गाय के पीला -गाढ़ा दूध मेडिकल की भाषा में कोलोस्ट्रम और बुंदेली बोलचाल में तेली कहा जाता है। कोलोस्ट्रम में एमिनोग्लोबिन होता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसको पीते है जन्म के समय  लगभग  शून्य रहने वाली बछड़े की प्रतिरोधकत क्षमता, उसके शारीरिक विकास के साथ-साथ धीरे-धीरे बढ़ती जाती है। 

जन्म के समय नवजात के संक्रमण का शिकार होने की खतरे की बात को ध्यान में रखते हुए इस बात पर जोर दिया जाता है कि बछड़े को जन्म लेने के 1 घंटे के अंदर गाय का पहला गाढ़ा पीला दूध अनिवार्य रूप से पिलाना चाहिए। इस दूध को पीते ही  बछड़े का शरीर इसे शत-प्रतिशत अवशोषित कर लेता  है और क्रियाशील हो जाता है और नवजात संक्रमण के खतरे से निकलकर सुरक्षा के दायरे में आ जाता है । 

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अगर जानकारों की माने तो गाय से निकले कुल दूध में से बछड़े को उसके वजन का दसवां हिस्सा ही देना  चाहिए। ना इससे कम और ना इससे ज्यादा। अगर कम देंगे तो उसे एमिनोग्लोबिन की पर्याप्त मात्रा नहीं मिलेगी और अधिक देंगे तो डायरिया हो जाएगा । गाय का यह पीला दूध शुरुआती 7 से 10 दिन तक ही मिलता है फिर दूध सामान्य हो जाता है। बछड़े के आहार के बाद बचे पीले दूध को पशु पालक तेली बनाकर पौष्टिक आहार के रूप में लेते हैं। 

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यह तेली मवेशियों के साथ-साथ मानवों को भी संक्रमण और कुपोषण से बचाती है। तेली के रूप में इसे बनाने पर इस पीले दूध की ताकत 4 गुना और  बढ़ जाती है क्योंकि तेली बनाते समय पीले दूध को,थोड़ी अचार की चिरौंजी, मुनक्का और नारियल मिलाकर उबाला जाता है। तो एक जबरदस्त पौष्टिक पेय तैयार हो जाता है

यह सभी तत्व प्राकृतिक होने के साथ ही औषधीय गुणों और विटामिन व  मिनरल से परिपूर्ण होते हैं राम मनोहर लोहिया अस्पताल दिल्ली के डाक्टर ऐके वार्षणेय का कहना है कि गाय के दूध की पौष्टिकता से तो सभी वाकिफ हैं लेकिन कोलएस्ट्रम में इतनी एंटीबाडी होती हैं कि यह किसी भी व्यक्ति या वायरस को मात दे सकती है।

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Health-Strong-Immunity-Hel-To-Keep-Covid-19-Away

Guest Column : By Kamlesh Tiwari

सागर वॉच।  जो लोग देर से घर आते हैं, देर से खाना खाते हैं और देर से सोते हैं उनकी प्रतिरोधक क्षमता मे गिरावट जल्दी आती है। इसके अलावा प्राकृतिक जीवन शैली को तज कर डब्बा बंद जंक फूड का सेवन का भी प्रतिरोधक क्षमता घटाने मे अहम कारक है।

हरदम तनाव, चिंता, अवसाद,डर, आशंका, आपाधापी व नकारात्मक सोच के माहौल मे रहने से प्रतिरोधक क्षमता ही नहीं व्यक्ति विशेष भी गर्त में चला जाता है।

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जब से कोरोना का संक्रमण फैला है देश-दुनिया में वायरस से ज्यादा प्रतिरोधक क्षमता केन्द्र मे बनी हुई है। सभी लोगों का अधिकांश समय इसी फेर मे बीत रहा है कि प्रतिरोधकता यानी इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं। 

कोई कसरत कर रहा है तो कोई औषधियां तलाश रहा है। लेकिन इस बात पर किसी ने गौर नहीं किया कि आखिर हमारी प्रतिरोधक क्षमता  क्यों और कैसे कम हो रही है। अगर इसी क्षति को रोक लिया जाए तो प्रतिरोधकता बढ़ाने के लिए ज्यादा कसरत करने की जरूरत ही नहीं रहेगी। 

केन्द्रीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद दिल्ली के प्रमुख डाॅ0 करतार का कहना है कि कमजोर मनोबल के चलते प्रतिरोधकता मे और अधिक गिरावट आती है। ऐसा ही विचार दिल्ली के मनोचिकित्सक डाॅ0 अवधेश शर्मा का है वह भी कहते हैं प्रतिरोधकता को बरकरार रखने ने न ज्यादा डरें न ही विचलित हों।

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लेडी हार्डिंग अस्पताल की डाक्टर अपर्णा सिंह का कहना है कि मानसिक रोगियों या मनोविकारों से ग्रसित रोगों को बीमारियों के संक्रमण का खतरा सामान्य रोगों से ज्यादा रहता है। वहीं डाॅ0 दीपक कहते हैं कि संतुलित आहार नहीं लेने से भी प्रतिरोधकता क्षमता कमजोर हो जाती है। चिकित्सकों का  यह भी कहना है कि धूम्रपान व मद्यपान भी प्रतिरोधक क्षमता के दुश्मन हैं।

अतः प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए जीवन शैली में अच्छे खानपान, अच्छी नींद व सुबह जल्दी उठने जैसे बातों को शामिल करने के साथ-साथ नशा खोरी की बुरी लत व नकारात्मक सोच को त्याग की भी जरूरत है।

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