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Sagar Watch News/ श्री सिद्ध क्षेत्र बालाजी श्री हनुमान मंदिर प्रागंण अंबेडकर वार्ड में राष्ट्रीय संत परम पूज्यनीय इन्द्रेश महाराज के मुखारविंद से श्रीमद्भागवत कथा प्रारंभ हुई।
श्री राधे जय जय गोपाल जय जय भजन के साथ कथा का शुभारंभ हुआ, जिससे पूरा पंडाल भक्तिभाव से गूंज उठा। महाराज जी ने कहा कि सागर में भी कुंभ जैसा माहौल बन गया है। उन्होंने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जहां यह कथा होती है, वहां तीर्थ और कुंभ का वातावरण स्वतः निर्मित हो जाता है।
उन्होंने बताया कि भगवान के तीन स्वरूप होते हैं—सत्य, चैतन्य और आनंद। कथा में सत्य स्वरूप प्रकट होता है, वैष्णव भक्तों के दर्शन से चैतन्य स्वरूप, और भक्ति व प्रेम से आनंद स्वरूप की अनुभूति होती है।
उन्होंने ज्ञान और वैराग्य को भक्ति के दो पुत्र बताते हुए कहा कि ज्ञान केवल सूचनाओं का संग्रह नहीं, बल्कि सत्य का निर्णय करने की शक्ति है। वैराग्य का अर्थ किसी वस्तु का त्याग नहीं, बल्कि इच्छाओं के त्याग से है।
गोस्वामी हित मोहित मराल जी ने कहा कि इन्द्रेश महाराज प्रेम और भक्ति की वर्षा करने सागर पधारे हैं, और सागरवासियों को इस आध्यात्मिक वर्षा में स्वयं को भिगोकर प्रभु प्रेम प्राप्त करना चाहिए।
कथा के शुभारम्भ से पहले मुख्य कथा व्यास पूज्य इंद्रेश उपाध्याय जी महाराज भोपाल मार्ग से सागर पहुंचे। सागर पहुंचने पर विधायक निवास स्थित संत निवास पर कथा के मुख्य यजमान अनुश्री-शैलेंद्र कुमार जैन ने गरिमामय रूप से अगवानी की।
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