Sagar Watch News/ मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेश कि जनता को चेताया है कि डिजिटल अरेस्ट या अन्य साइबर क्राइम की स्थिति में तत्काल पुलिस को सूचित करें। जन- -जागरूकता, साइबर जालसाजों का साहस के साथ सामना और पुलिस की त्वरित कार्रवाई से इन अपराधों से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भी लोगों को इस दिशा में जागरूक करने के प्रयास किए जा रहे हैं। गत दिवस प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) से बचाने के उपाय बताते हुए कहा था कि डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) से डरे नहीं, रूकें, सोचें तथा एक्शन लें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव राज्य साइबर पुलिस मुख्यालय में मीडिया को संवाद कर रहे थे।
उल्लेखनीय है कि साइबर पुलिस द्वारा 9 नवम्बर को अरेरा कॉलोनी भोपाल निवासी व्यक्ति के डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) में त्वरित कार्रवाई कर लाईव रेड करते हुए उन्हें मुक्त कराकर करोड़ों रूपए के साइबर फ्राड से बचाने की कार्यवाही की गई थी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव प्रदेश की साइबर पुलिस को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राज्य साइबर पुलिस मुख्यालय पहुंचे थे। संभवत: डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) में लाईव रेड का देश-दुनिया का यह पहला ऐसा प्रकरण है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने साइबर पुलिस की दक्षता और त्वरित कार्यवाही की सराहना की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पुलिस महानिदेशक श्री सुधीर सक्सेना, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री योगेश देशमुख, डीआईजी साइबर सेल श्री युसुफ कुरैशी और त्वरित रूप से घटना स्थल पहुंचने वाले उप निरीक्षक साइबर सचिन यादव की प्रशंसा की।
डरने की जरूरत नहीं डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) से
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने साइबर अपराध में पुलिस टीम द्वारा दिखाई गई तत्परता की सराहना करते हुए इसे अनुकरणीय और प्रेरणादायक बताया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जनसामान्य प्राय: सीबीआई, ईडी आदि की कार्यवाही से अनभिज्ञ रहता है और चालाक अपराधी ऐसे लोगों को अपने जाल में फंसा लेते हैं।
मध्यप्रदेश पुलिस सूचना प्राप्त होते ही एक्शन में आयी और ठोस कार्रवाई करते हुए डिजिटल अरेस्ट(Digital Arrest) के माध्यम से साइबर फ्रॉड के इस प्रकरण में देश-दुनिया के सामने यह उदाहरण प्रस्तुत किया कि डिजिटल अरेस्ट से डरने की जरूरत नहीं है।
समय पर पुलिस को सूचना दी जाए और त्वरित कार्रवाई की जाए तो अपराध से बचा जा सकता है और ऐसे अपराधियों को पकड़ा भी जाया जा सकता है। पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों पर हमें गर्व है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पुलिस को सूचना देने वाले श्री राजीव ओबेराय से मोबाइल पर बातचीत भी की।
प्रत्येक जिले में साइबर थाना और थाने में साइबर डेस्क होगी स्थापित
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में साइबर पुलिस को हाईटेक बनाने के लिए कार्य जारी है। प्रत्येक जिले में साइबर थाना आरंभ करने के साथ ही प्रदेश के प्रत्येक थाने में साइबर डेस्क स्थापित की जा रही है। साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 को भी अधिक प्रभावी बनाया जाएगा। प्रदेश में व्यापक स्तर पर साइबर जागरूकता अभियान चलाकर साइबर अपराध रोकथाम के उपायों की जानकारी जन-जन को दी जाएगी।
जारी हो रहीं है एडवाइजरी साइबर अपराधों से बचने
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि साइबर अपराध और शिकायतों में प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है। वर्ष 2019 में लगभग चार हजार शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जबकि वर्ष 2024 में अब तक लगभग पांच लाख शिकायतें प्राप्त हो चुकी हैं। साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए पिछले पांच वर्षों में लगभग 259 प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से लगभग 24 हजार पुलिस अधिकारियों, न्यायिक अधिकारियों और लोक अभियोजन अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया।
गत पांच वर्ष में साइबर जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से छात्र-छात्राओं सहित लगभग 31 लाख नागरिकों को जागरूक किया गया। साइबर पुलिस द्वारा बिजली बिल भुगतान व कस्टम ड्यूटी के नाम पर ठगी, पेंशन फ्रॉड, ऑनलाइन टेलीग्राम टॉस्क और डिजिटल अरेस्ट संबंधी एडवाइजरी नियमित रूप से जारी की जाती रही है। राज्य शासन को साइबर अपराधों से बचाव संबंधी जागरूकता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं।
दुबई और सीरिया आ रहे हैं फ़ोन डिजिटल अरेस्ट के लिए
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अरेरा कॉलोनी में हुई डिजिटल अरेस्ट संबंधी घटना के बारे में बताया कि 9 नवम्बर को एक व्यक्ति के डिजिटल अरेस्ट की सूचना उनके परिचित श्री राजीव ओबेरॉय ने साइबर पुलिस को दी। पुलिस टीम बिना एक पल गंवाए अरेरा कॉलोनी स्थित पीड़ित विवेक ओबेरॉय (जो कि दुबई में कॉर्पोरेट सेक्टर उद्यमी हैं) के घर पहुंची।
टीम ने पाया कि पीड़ित को अज्ञात साइबर जालसाजों द्वारा ईडी, सीबीआई ऑफीसर बनकर दुबई और सीरिया के वर्चुअल नंबर से कॉल कर डिजिटल अरेस्ट कर लिया गया है। दोपहर एक बजे से उनके ही घर के कमरे में छह घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया।
साइबर जालसाजों द्वारा पीड़ित और उनके परिवार की निजी जानकारियां, बैंकिंग डिटेल्स ले ली गईं और न बताने पर उन्हें गिरफ्तार करने और परिवार के सदस्यों को नुकसान पहुंचाने की धमकियां दी गईं। साथ ही यह भी कहा गया कि डिजिटल अरेस्ट के संबंध में किसी को न बताया जाए।
पीड़ित परिवार ने दिया मध्यप्रदेश पुलिस और राज्य साइबर पुलिस को धन्यवाद
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि साइबर पुलिस द्वारा रेड करने पर जालसाजों द्वारा तत्काल वीडियो कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया गया। टीम द्वारा पीड़ित को समुचित तरीके से समझाइश देते हुए उन्हें फोन और लैपटॉप की डिजिटल अरेस्ट की वर्चुअल दुनिया से बाहर निकाला गया। रियल टाइम पर उनके साथ होने वाले करोड़ों की ठगी को रोका गया।
पीड़ित ने स्वयं कहा कि यदि पुलिस टीम आज त्वरित रूप से उनके पास नहीं पहुंचती तो वे जालसाजों को करोड़ों रूपए ट्रांसफर कर देते और लंबे समय तक अपने ही घर में डिजिटल अरेस्ट की प्रताड़ना सहते। पीड़ित और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा मध्यप्रदेश पुलिस और राज्य साइबर पुलिस को धन्यवाद दिया गया।
साइबर अपराधों के रोकथाम के समुचित प्रयास
प्रदेश में पिछले 5 वर्षों में लगभग 259 प्रशिक्षण कार्यक्रमों में लगभग 24,000 पुलिस अधिकारी, न्यायिक अधिकारी, लोक अभियोजन अधिकारी प्रशिक्षित किये गये है। लगभग 4700 हजार साइबर जागरुकता कार्यक्रम आयोजित कर लगभग 31 लाख नागरिकों (छात्र-छात्राओं, महिलाओं, वृद्धों आदि) को जागरुक किया गया। नियमित रुप से नवीन साइबर अपराधों (डिजीटल अरेस्ट़ बिजली बिल भुगतान करने के नाम पर, कष्टम ड्यूटी के नाम पर, पेंशन फ्रॉड, ऑनलाइन टेलीग्राम टास्क आदि) से संबंधित एडवाइजरी जारी की जाती रही है।
राष्ट्रीय स्तर के मिले पुरस्कार
मध्यप्रदेश को साइबर अपराध रोकने के लिये किये गये उल्लेखनीय कार्यों के लिये निरंतर राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्राप्त हुए है। वर्ष 2021 एवं 2022 में NCRB (MHA), वर्ष 2018 एवं 2022 DSCI (केपेसिटी बिल्डिंग), वर्ष 2018, 2019, 2020 एवं 2022 में साइबर कॉप ऑफ दी ईयर और वर्ष 2022 में FICCI (केपेसिटी बिल्डिंग) पुरस्कार मिला।
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