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हिंदी दिवस पर 14 सितंबर को श्यामलम् द्वारा 11वां वार्षिक व्याख्यान माला और सम्मान समारोह का गरिमामय कार्यक्रम कन्या स्नातकोत्तर उत्कृष्टता महाविद्यालय सागर की सहभागिता में आयोजित किया गया। 
इस अवसर पर अहिंदीभाषी लेखक को हिंदी सेवा के लिए दिए जाने वाले वार्षिक श्यामलम् हिंदी सेवी सम्मान 2024 से डॉ. हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय,तेलुगू भाषी)शिक्षाविद् डॉ.के.कृष्णाराव को अलंकृत किया गया।

कार्यक्रम में हिंदी लेखिका डॉ. लक्ष्मी पांडे ने "हिंदी: दशा और दिशा" विषय पर अपने वक्तव्य में कहा कि कबीरदास की उक्ति "भाषा बहता नीर" को व्याकरण की मान्यताओं से मुक्त कर भाषा को अत्यधिक सरल नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि इससे भाषा विकृत हो रही है। 

उन्होंने 1960 से पहले की हिंदी भाषा की गरिमा को बनाए रखने पर जोर दिया। हिंदी, संस्कृत की बेटी है और इसका संरक्षण हमारा कर्तव्य है ताकि संस्कृत लज्जित न हो। स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय के कुलाधिपति ने कहा कि दूसरों की भाषा का सम्मान करने से हमारी भाषा का सम्मान भी बढ़ेगा। कार्यक्रम के अध्यक्ष, डॉ. आनंद तिवारी ने हिंदी को विभिन्न बोलियों को समाहित करने वाली भाषा के रूप में प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में इसके अलावा कवयित्री डॉ.वर्षा सिंह स्मृति रचनाकार सम्मान सुनीला सराफ अध्यक्ष हिंदी साहित्य सृजन संघ,सागर को प्रदत्त किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.सुश्री शरद सिंह, स्तंभकार डॉ.सुजाता मिश्र,स्वर संगम अध्यक्ष हरी सिंह ठाकुर और श्यामलम् के कार्य. सदस्य रमाकांत शास्त्री ने सम्मानितों के अभिनंदन पत्रों व जीवन परिचय का वाचन किया।

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि जन भागीदारी समिति अध्यक्ष  मनीषा मिश्रा ने भी अपने विचार व्यक्त किया। स्वागत उद्बोधन एवं कार्यक्रम परिचय श्यामलम् अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र ने दिया।
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