Pradhanmantri bhartiya jan aushadhi kendra

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प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएम-बीजेपी) के तहत गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयाँ उपलब्ध कराने के लिए आज जिला चिकित्सालय परिसर सागर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिवस के अवसर पर लोकार्पण किया जाएगा जिसमें जिले के समस्त जनप्रतिनिधि मौजूद रहेंगे।

जिला कलेक्टर ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार यह जन औषधि केंद्र प्रारंभ किया जा रहा है जिनको रेड क्रॉस के माध्यम से संचालित किया जाएगा ।उन्होंने बताया कि इस जन औषधि केंद्र को चलाने के लिए अपर कलेक्टर को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है जो कि रेड क्रॉस के माध्यम से यह जन औषधि केंद्र संचालित करेंगे। 

जन औषधि केंद्र को रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा 2015 में शुरू की गई। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना का उद्देश्य सभी को सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है। यह महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओं में से एक है। 

ब्रांडेड दवाओं के बराबर प्रभावकारिता और गुणवत्ता वाली सस्ती जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति WHO GMP (World Health Origination - Good Manufacturing practices) certified Suppliers से ही की जाती है। जिससे दवाइयों की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा सके। 

27 अगस्त 2019 से जन औषधि केन्द्रों पर Oxo-biodegradable Sanitary Napkins भी Rs.1/ pad की दर पर उपलब्ध कराये गये है। जिससे महिलाओं की स्वास्थ्य को सुरक्षित किया जा सके। मोबाइल एप्लेिशन जन औषधि सुगम अगस्त 2019 के महीने में लांच किया गया था। 

ऐप की विशेषताएं निम्न प्रकार हैं। गूगल मैप के माध्यम से नजदीकी जन औषधि केन्द्र का पता लगाना, जन औषधि जेनरिक दवाईयों की खोज करना, एमआरपी के संदर्भ में जेनरिक बनाम ब्रांडेड दवाओं की कीमतों की तुलना करना, समग्र बचत आदि। पीएमबीजेपी की बेवसाइट में यह अनुमान लगाया गया है कि पीएमबीजेपी ने देश के आम नागारिकों के लगभग 28,000 करोड रूपये से अधिक की बचत की है।

पीएमबीजेपी के तहत, देश भर में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र (पीएमवीजेके) स्थापित किए जा रहे हैं ताकि स्वास्थ्य देखभाल के लिए जेब से होने वाले खर्च को कम किया जा सके। फार्मास्यूटिकल्स विभाग के अंतर्गत भारतीय फार्मा पीएसयू ब्यूरो (बीपीपीआई) पीएमबीजेके के माध्यम से जेनेरिक दवाओं के समन्वय, खरीद, आपूर्ति और विपणन में शामिल है। खरीदी गई जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं के बाजार मूल्य की तुलना में 50 प्रतिशत से 90 प्रतिशत कम कीमत पर बेची जाती हैं।

इस योजना के तहत खरीदी गई सभी दवाओं की गुणवत्ता आश्वासन के लिए NABL (National Accreditation board for testing & calibration Laboratories) राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड प्रयोगशालाओं) से मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में जांच की जाती है और यह WHO GMP विश्व स्वास्थ्य संगठन के अच्छे विनिर्माण अभ्यास) बेंचमार्क के अनुरूप है। 

PIMBJK की स्थापना के लिए 2.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख तक का सरकारी अनुदान प्रदान किया जाता है। इन्हें डॉक्टरों, फार्मासिस्टों, उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों, गैर सरकारी संगठनों, धर्मार्थ समितियों आदि द्वारा किसी भी उपयुक्त स्थान पर या अस्पताल परिसर के बाहर स्थापित किया जा सकता है। 

 रेल मंत्रालय ने पीएमबीजेपी के तहत रेलवे स्टेशनों और अन्य रेलवे प्रतिष्ठानों पर जन औषधि केंद्र खोलने को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि रेलवे स्टेशनों पर जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता से आवश्यक दवाओं की उपलब्धता और सामर्थ्य में वृद्धि होगी और ग्राहकों के लिए सुविधा में सुधार होगा। 

जेनेरिक दवाइयां क्या हैं जेनेरिक दवाएँ बिना ब्रांड वाली दवाएँ होती हैं जो ब्रांडेड दवाइयों के समान ही सुरक्षित होती हैं और उनके चिकित्सीय मूल्य के मामले में ब्रांडेड दवाइयों के समान ही प्रभावकारिता होती है। 

जेनेरिक दवाइयों की कीमतें उनके ब्रांडेड समकक्षों की तुलना में बहुत सस्ती होती हैं। जेनेरिक दवाओं की पहुंच अधिक से अधिक डॉक्टरों द्वारा जेनेरिक दवाइयाँ लिखे जाने तथा 652 जिलों में 6600 से अधिक जन औषधि स्टोर खोले जाने जैसे विकासों के साथए देश में उच्च गुणवत्ता वाली सस्ती जेनेरिक दवाओं के बारे में जागरूकता और उपलब्धता बढ़ी है। 

प्रतिदिन लगभग 10.15 लाख लोग जन औषधि दवाओं से लाभान्वित होते हैं तथा पिछले 3 वर्षों में जेनेरिक दवाओं की बाजार हिस्सेदारी 2 प्रतिशत से तीन गुना बढ़कर 7 प्रतिशत हो गई है। जन औषधि दवाइयों ने भारत में जानलेवा बीमारियों से पीड़ित मरीजों की जेब से होने वाले खर्च को कम करने में बड़ी भूमिका निभाई है। 

पीएमबीजेपी योजना से आम नागरिकों को लगभग 1000 करोड़ रुपये की बचत हुई है क्योंकि ये दवाइयां औसत बाजार मूल्य से 50 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक सस्ती हैं।
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1 comments so far,Add yours

  1. सस्ती जेनरिक दवाओं मरीजों को लिखने में रूचि नहीं नहीं दिखाई जाती हैं क्यों कि इससे दवा लिखनेवालों का कमीशन कम बनता है ...दबे सुर में जेनरिक दवाओं को ब्रांडेड दवाओं से कम असरकारक बताकर भी उनके प्रयोग को हतोत्साहित किया जाता है ....

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