इसके कारण जिले के अधिकांश भागों में लू (तापघात) की स्थिति निर्मित हो सकती है। लू ताप घात के प्रभाव लक्षण एवं प्राथमिक उपचार जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों उपलब्ध है।
लू तापघात के लक्ष्ण
सीएमओ डॉ. ममता तिमोरे ने बताया कि लू के प्रभाव से सूर्यदाह,ताप के कारण शारीरिक ऐंठन,अत्याधिक थकावट एवं शारीरिक खिचाव और ताप दाह के लक्ष्ण त्वचा पर लाल वकता,सूचन,फफोले,बुखार, सिरदर्द,पैरों, पेट की मांसपेशियों अथवा शरीर के बाहरी भागों में शारीरिक ऐंठन बाहरी भागों में तकलीफदेह ऐंठन अत्यधिक पसीना आना, अत्यधिक पसीना आना, कमजोरी महसूस होना, थकावट एवं शरीर ठंडा होना तथा पीला पड़ जाना, शारीरिक सिरदर्द, नब्ज कमजोर पड़ जाना मूर्छित हो खिचाव (भ्मंज यजाना, उल्टी आना आदि लक्ष्ण दिखाई देते है।
लू तापघात के प्राथमिक उपचार
सीएमओ डॉ. तिमोर ने बताया कि लू प्रभावित को बार-बार नहलायें। यदि फफोले निकल आए हो तो सिरदर्द आदि स्टरलाईज, ड्रेसिंग करें। प्रभावित को छायादार स्थल पर तत्काल ले जायें। ऐंठन वाले शरीर के भाग को जोर से दबायें तथा धीरे-धीरे सहलायें, प्रभावित को शीतल जल, छाछ अथवा पना पिलायें।
यदि उकबाई आ रही हो, तो शीतल पेय पिलाना बन्द कर दें तथा तत्काल नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र पर ले जाऐं और तुरंत चिकित्सक दिखाये तथा प्रभावित को छायादार स्थल पर लिटाकर शरीर पर ठंडा एवं गीले कपड़े से स्पंजिंग करें।
संभव हो तो उन्हें वातानुकूलित कमरे में ले जाऐं प्रभावित को शीतल जल, छाछ अथवा पना पिला यें यदि उबकाई आ रही है तो शीतल पेय पिलाना बन्द कर दें तथा तत्काल नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र पर ले जाऐं।
यह अत्यंत चिन्ताजनक एवं चिकित्सा की दृष्टि से आपात स्थिति है। तत्काल 108 को बुलायें तथा प्रभावित को नजदीकी अस्पताल में भर्ती करायें । एम्बूलेंस आने तक उन्हें किसी शीतल वातानुकूलित स्थान पर लें जा यें।
कपड़ों को ढीला कर आरामदेह स्थिति में लिटायें । उनके शरीर पर ठंडा एवं कीले कपड़े से स्पंजिंग करें। किसी भी प्रकार का पेय पदार्थ पीने को नहीं दें।
सावधानियाँ और लू से बचाव के उपाये
सीएमओ डॉ.ममता तिमोरे ने बताया कि पानी, छाछ ओ.आर.एस को घोल या घर में बने पेय जैसे लस्सी, नीबू पानी आम का पना इत्यादि का सेवन कर तरो-ताजा रहें। यथा संभव दोपहर 12 से 03 बजे धूप में बाहर निकलने से बचें।धूप में निकलते समय अपना सिर ढक कर रखें। कपड़े टोपी अथवा छतरी का उपयोग करें।धूप में निकलने से पूर्व तरल पदार्थ का सेवन करें। पानी हमेशा साथ रखें। शरीर में पानी की कमी नहींहोने दें।सूती, ढीले एवं आरामदायक कपड़े पहने।
सिथेटिक एवं गहरे रंग के वस्त्र पहनने से बचें। जानवरों को छाया में रखे और पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी दें।अत्यधिक गर्मी होने की स्थिति में ठंडे पानी से शरीर को पीछे या कई बार स्नान करें। धूप तथा गर्म हवाओं के संपर्क के तुरंत बाद स्नान न करें।गरिष्ठ, वसायुक्त ज्यादा प्रोटीन वाले भोजन तथा अल्कोहल, चाय, कॉफी जैसे पेय पदार्थ का उपयोग कम से कम करें।
सीएमओ डॉ. तिमोर ने बताया कि सम्पूर्ण जिले की संस्थाओं के प्रभारियो को जिले में संभावित लू के प्रकोप को गंभीरता से लेते हुए इससे होने वाली क्षति को कम करने हेतु निम्नानुसार निर्देश प्रसारित किये गए है।जिले में स्थित सभी शासकीय अस्पतालों में लू प्रभावितों के उपचार हेतु विशिष्ट कार्ययोजना बनाई जावे।
2. लू से बचाव हेतु जनसामान्य द्वारा अपनायें जाने वाल उपाय से संबंधित सुझाव जिले के सभी अस्पतालों के बाहर प्रदर्शित किये जावें। लू ग्रसित रोगियों की चिकित्सा हेतु आवश्यक दवाईयाँ भण्डार आदि की उपलब्धता सभी शासकीय चिकित्सालयों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में डिपों होल्डर आशा कार्यकर्ता के पास सुनिश्चित की जावे।
विशेषकरय ओआरएस घोल, फ्लूइड, लू से उपचार हेतु अन्य दवाईया आदि का पर्याप्त भण्डार करें।लू ग्रसित रोगियों की संख्या बढने की स्थिति में अतिरिक्त अमले की व्यवस्था सुनिश्चित की जावे। लू ग्रसित रोगियों के चिकित्सा के लिए जिला चिकित्सालय एवं सिविल हॉस्पिटल में अलग चिकित्सा वार्ड की व्यवस्था की जावे।
बहुउद्देशीय कार्यकर्ताओं आशा कार्यकर्ताओं तथा आशा पर्यवेक्षकों को स्थानीय स्तर पर लू से ग्रसित रोगियों की जानकारी प्राप्त करने उनके समुचित इलाज को सुनिश्चित करने तथा इसकी जानकारी संबंधित मुख्य खण्ड चिकित्साधिकारी के माध्यम से कार्यालय को प्रस्तुत करें।
सार्वजनिक स्थलों पर एम्बुलेंस / 108 को विशेषकर दोपहर में तैयारी की स्थिति में रखा जावे ताकि किसी व्यक्ति को लू लगने पर उसे तत्काल चिकित्सकीय सहायता प्रदान की जा सकें। कमजोर समूह दृ बच्चों, दिव्यागों, महिलाओं और वृद्वो के स्वास्थ्य पर विशेष निगरानी रखी जावे ।
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