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Sagar Watch News

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 मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि आयुर्वेद के माध्यम से ही सौ वर्ष जीने के लक्ष्य को साकार किया जा सकता है। इसी से "जीवते शरद: शतम्" के भाव को सिद्ध किया जा सकता है। ये विचार उन्होंने सोमवार को 21वें आयुर्वेद पर्व-2025 के अंतर्गत राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन-सत्र में अपने संबोधन के दौरान व्यक्त किये।

इसी सिलसिले में मुख्यमंत्री ने आयुर्वेद को आयु की प्रत्येक अवस्था में बेहतर जीवन जीने का प्रमाणिक मार्ग बताया। उन्होंने कहा कि परमात्मा ने प्रकृति में ही हर व्याधि के लिए औषधि दी है, इस तथ्य का सर्वाधिक ज्ञान और उसे व्यवहार में लाने की क्षमता आयुर्वेद में नीहित है। वनस्पतियों की जानकारी और योग की क्षमता से व्यक्ति स्वस्थ रहने के मार्ग का अनुसरण कर सकता है।

आयुर्वेद को हजारों साल पुरानी परंपरा बताते हुए श्री यादव ने कहा कि संपूर्ण विश्व इसका अनुसरण करने के लिए तत्पर है और भारत आयुर्वेद की विधा का राजदूत है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय ज्ञान परंपरा की इस विधा को वैश्विक स्तर पर विस्तार देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अगला आयुर्वेद पर्व सिंहस्थ 2028 के अवसर पर उज्जैन में करने के लिए आमंत्रण देते हुए कहा कि राज्य सरकार इस पर्व की आयोजक होगी। 

प्रदेश में 11 आयुर्वेदिक कॉलेज आरंभ किए जाएंगे

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने घोषणा की कि प्रदेश में 11 नए आयुर्वेदिक कॉलेज स्थापित किए जाएंगे। नई शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालयों को आयुर्वेदिक, मेडिकल और अन्य पाठ्यक्रम संचालित करने की अनुमति दी गई है। आयुर्वेद में पैरामेडिकल और नर्सिंग कोर्स भी शुरू किए जाएंगे। आयुष क्लीनिक और नर्सिंग होम का पंजीयन अब आयुष विभाग द्वारा किया जाएगा। आयुष विभाग में सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष होगी।

अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान उज्जैन में स्थापित किया जाएगा, और आयुष विभाग की क्रय नीति को सरल बनाया जाएगा। आयुर्वेदिक उत्पाद निर्माण इकाइयों को राज्य सरकार सहयोग देगी। सिंहस्थ के लिए उज्जैन में आयुर्वेदिक संस्थानों को स्थाई निर्माण हेतु भूमि उपलब्ध कराई जाएगी।

इसके अतिरिक्त, उज्जैन में अंतरराष्ट्रीय वैदिक न्यायालय स्थापित करने और यूनानी चिकित्सा पद्धति की पढ़ाई हिंदी में शुरू करने की योजना पर भी राज्य सरकार सहयोग करेगी।


आयुर्वेद में शोध को प्रोत्साहित करने राज्य सरकार प्रतिबद्ध- मंत्री श्री परमार

आयुष, तकनीकी शिक्षा और उच्च शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि आुयर्वेद में शोध को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकार द्वारा विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। विधायक श्री भगवान दास सबनानी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने आयुर्वेद में उल्लेखित औषधियों के आधार पर स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए विकसित देशों के लोगों को भी प्रेरित किया है। 
पद्मश्री एवं पद्म भूषण श्री देवेंद्र त्रिगुणा ने प्रदेश में पचमढ़ी और उज्जैन जैसे स्थानों पर आयुर्वेद, योग, पंचकर्म, आदि के केंद्र विकसित करने का सुझाव रखा। वैद्य श्री मनोज नेसरी ने आयुष को तकनीक से जोड़ने की दिशा में पहल करने की आवश्यकता बताई। महर्षि वैदिक विश्वविद्यालय के निदेशक डॉ.गिरीश चंद्र वर्मा ने शाला से उच्च शिक्षा स्तर तक के विद्यार्थियों को स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक व्यवस्था विकसित करने का सुझाव दिया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने किया आयुर्वेद के कर्मठ और निष्णात वैद्यों को सम्मानित

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने राष्ट्रीय सेमिनार का धनवंतरी पूजन और दीप प्रज्ज्वलन कर डिजिटल उद्घाटन किया। साथ ही आरोग्य पर्व पर प्रकाशित सोवेनियर का विमोचन भी किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आयुर्वेद क्षेत्र के कर्मठ और निष्णात वैद्यों को सम्मानित किया और मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित व्याख्याताओं को नियुक्ति-पत्र प्रदान किए। 

अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन द्वारा प्रदेश के आयुष विभाग के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. यादव का औषधीय पौधा, कलश और अंगवस्त्रम भेंट कर स्वागत किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अवसर पर आरोग्य मेले का भी उद्घाटन कर अवलोकन किया।
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कलेक्टर संदीप जी.आर. द्वारा विगत 6 सितंबर को जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान जिला चिकित्सालय कार्यालय में साफ-सफाई न रखने एवं रिकार्ड अस्त-व्यस्त स्थिति मे पाये जाने पर जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ. आर.एस. जयंत को कारण बताओ नोटिस दिया। 

 निरीक्षण के समय मनोचिकित्सक एवं सोनोग्राफी विशेषज्ञ अनुपस्थित पाये गये, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि अस्पताल में साफ-सफाई की मॉनीटरिंग नहीं की जा रही है। मरीजों को बैठने की समुचित व्यवस्था नहीं थी, डिजीटल एलईडी कियोस्क डेस्क चालू स्थिति में नहीं पाया गया। 

वृद्धजन कक्ष में स्मार्ट सिटी द्वारा प्रदाय टी. व्ही. एवं कियोस्क बिना उपयोग के पैक रखा हुआ पाया गया । दिव्यांगजनों को व्हील चेयर उपलब्ध नहीं पाई गई। डॉ. जयंत ने उक्त कृत्य करते हुए अपने पदीय दायित्वों और कर्तव्यो के निर्वहन में घोर उदासीनता एवं लापरवाही बरती । 

शासकीय सेवक होते हुये भी डॉ. जयंत का आचरण शासकीय सेवक के पदीय कर्तव्यों के प्रतिकूल है। उक्त कृत्य के आधार पर सिविल सर्जन डॉ. जयंत को कार्यालय में उचित साफ-सफाई, अनावश्यक रिकार्ड का विनिष्टीकरण एवं आवश्यक रिकार्ड को उचित स्थान पर व्यवस्थित रूप से जमा कर दिनांक 12 सितम्बर 2024 को प्रतिवेदन सहित सायं 4 बजे तक कारण व्यक्त करने के लिए आदेशित किया गया है। नियत समयावधि में उत्तर प्राप्त नहीं होने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी।