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 पृथ्वी दिवस क्या है?

पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल को मनाया जाने वाला एक वार्षिक वैश्विक कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, स्थिरता और जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, वनों की कटाई और अन्य पारिस्थितिक चुनौतियों के खिलाफ़ कार्रवाई करने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

पृथ्वी दिवस पहली बार कब मनाया गया था?

पृथ्वी दिवस पहली बार 22 अप्रैल, 1970 को संयुक्त राज्य अमेरिका में मनाया गया था। इसकी स्थापना सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने की थी और कार्यकर्ता डेनिस हेस ने पर्यावरण क्षरण का विरोध करने के लिए लाखों अमेरिकियों को संगठित करके इसका आयोजन किया था।

पृथ्वी दिवस के बारे में मुख्य तथ्य:

पहला पृथ्वी दिवस (1970): यू.एस. पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) और स्वच्छ वायु अधिनियम, स्वच्छ जल अधिनियम और लुप्तप्राय प्रजाति अधिनियम जैसे प्रमुख कानूनों के निर्माण का नेतृत्व किया।

वैश्विक मान्यता (1990): पृथ्वी दिवस दुनिया भर में मनाया गया, जिसमें 140 से अधिक देशों ने भाग लिया।

पृथ्वी दिवस 2025 थीम: विश्व पर्यावरण दिवस 2025 का थीम है "प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना"। कोरिया गणराज्य वैश्विक समारोह की मेज़बानी करेगा, जिसका ध्यान प्लास्टिक प्रदूषण को दूर करने पर होगा।।

 पृथ्वी दिवस 2025 का नारा -यह हमारी शक्ति है, यह हमारा ग्रह है। (The slogan for Earth Day 2025 "It's Our Power, it's Our Planet."

महत्व: यह स्वस्थ ग्रह के लिए पुनर्चक्रण, वृक्षारोपण, सफाई अभियान और नीतिगत परिवर्तन को प्रोत्साहित करता है।

Sagar Watch News

बां
स दिवस (Bamboo Day) हर साल 18 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य बांस के पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। 

विश्व बांस संगठन (World Bamboo Organization) ने विश्व बांस दिवस (World Bamboo Day) मनाने की शुरुआत की थी। इसे पहली बार 18 सितंबर 2009 को मनाया गया था। 

यह पहल थाईलैंड के प्रिंस सोंगक्ला विश्वविद्यालय में डॉ. नीरा सोमबून द्वारा की गई थी, जो उस समय विश्व बांस संगठन के अध्यक्ष थे।

बांस एक तेजी से बढ़ने वाला पौधा है जो पर्यावरण के लिए फायदेमंद होता है, क्योंकि यह कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है और मिट्टी के कटाव को रोकता है। 

इसके अलावा, बांस का उपयोग निर्माण, फर्नीचर, कागज, कपड़े, और अन्य उद्योगों में भी किया जाता है, जिससे यह एक टिकाऊ और बहुउपयोगी संसाधन बनता है। 

बांस दिवस पर, लोगों को इस बहुमूल्य पौधे के संरक्षण और इसके उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए जागरूक किया जाता है।

भारत में "बांस गांव" (Bamboo Village) के रूप में प्रसिद्ध स्थान त्रिशूर जिले के कुमारकम में स्थित है, जो केरल राज्य में है। इसे विशेष रूप से बांस के उत्पादन और उपयोग के लिए जाना जाता है।

इस गांव में बांस के शिल्प, फर्नीचर और अन्य उत्पादों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिससे यह एक प्रमुख बांस उद्योग केंद्र बन गया है।

इसके अलावा, त्रिपुरा और नगालैंड जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में भी कई बांस गांव हैं, जहां बांस से बने पारंपरिक शिल्प और उत्पादों का निर्माण किया जाता है। 

ये क्षेत्र बांस की खेती और उसके टिकाऊ उपयोग के लिए जाने जाते हैं, जिससे स्थानीय आजीविका को भी बल मिलता है।