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Sagar Watch News/ श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन बालाजी मंदिर परिसर में कथा व्यास इंद्रेश जी महाराज ने धर्म और परमधर्म का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि धर्म जीवन यापन के लिए आवश्यक कर्म है, जिसमें भोजन, पर्यावरण संरक्षण, भाषा की शुद्धता और सामाजिक समरसता शामिल हैं। लेकिन परमधर्म वह है जिसमें भक्ति और कथा श्रवण के माध्यम से भगवान के परमधाम को प्राप्त किया जाता है।
उन्होंने बताया कि ईर्ष्या भगवत प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा है। संसार मिथ्या है, लेकिन परमात्मा की लीला सत्य है। उन्होंने काशी के भागवत पाठी ब्राह्मण और काले खान की भावुक कथा सुनाई। दक्षिणा में सभी भक्तों से गोपीगीत का पाठ नित्य करने का आग्रह किया।
उन्होंने वृंदावन और सागर की तुलना करते हुए कहा कि जिस प्रकार गिरिराज पर्वत भक्तों की माला धारण करते हैं, वैसे ही कथा स्थल भी पुण्यात्माओं का संगम है। अंत में उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत ही साक्षात श्रीकृष्ण हैं और उनका प्रत्येक शब्द दिव्य स्वरूप धारण करता है।
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