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प्रयागराज में महाकुंभ के अवसर पर श्री गौरी शंकर मंदिर में आयोजित श्री रामचरित मानस सम्मेलन के तृतीय दिवस पर पंडित मदन मोहन मिश्र ने राम कथा के जनकल्याणकारी उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि राम द्वारा धनुष तोड़ने का प्रसंग जीवन में नम्रता का महत्व दर्शाता है—जो झुकता है, वह बचता है, और जो घमंड करता है, वह नष्ट हो जाता है।

सेवा की भावना पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सेवा का धर्म होता है, और सेवा देने व लेने वाले दोनों को इसका पालन करना चाहिए। जरूरत से अधिक सेवा लेने से श्रद्धा में कमी आ सकती है।

परिवार की सेवा को ही सच्ची पूजा बताते हुए उन्होंने कहा कि यदि परिवार प्रसन्न है, तो यही सबसे बड़ा धर्म है। भगवत स्मरण से पहले घर-परिवार की सेवा जरूरी है।

उन्होंने आंतरिक सुंदरता को अधिक महत्वपूर्ण बताया, क्योंकि मन की सुंदरता ही व्यक्ति को सम्मान दिलाती है।

बेटियों के महत्व पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि बेटियां दो कुलों को रोशन करती हैं और त्याग व प्रेम का प्रतीक होती हैं।

समारोह में भगवान राम के धनुष तोड़ने, परशुराम संवाद और राम-सीता विवाह के प्रसंगों ने श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया।

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